Monday, 2 April 2018

ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे से अनजान ना बने रहे, इसे गंभीरता से ले, क्योंकि इसका कोई इलाज नही है-राजेश अग्रवाल


ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते कुप्रभाव से धरती पिघलने लगी है ।
ग्लोबल वार्मिंग – एक ऐसा विषय जिसने पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले लिया है। अगर आप अभी तक ग्लोबल वार्मिंग के कुप्रभावो से अनजान है तो इसे ऐसे समझिये की ग्लोबल वार्मिंग या वैश्विक तापमान बढ़ने का मतलब है कि पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है, दुनिया भर के वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में सूखा बढ़ेगा, बाढ़ की घटनाएँ बढ़ेगी और मौसम का मिज़ाज पूरी तरह बदल जायेगा, ऐसा इसलिए होगा की मानव आधुनिकीकरण के आड़ में लगातार प्रकृति से छेडछाड़ कर रहा है। ग्लोबल वार्मिंग दुनिया की कितनी बड़ी समस्या है, यह बात एक आम आदमी समझ नहीं पाता है। उसे ये शब्द टेक्निकल लगता है। इसलिये वह इसकी तह तक जाने की बजाय अपने रोजी-रोटी में व्यस्त रहता है, और इसे एक वैज्ञानिक परिभाषा मानकर छोड़ दिया गया है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि फिलहाल संसार को इससे कोई खतरा नहीं है, लेकिन ये विषय इतना भयानक है की समाज के सभी बुद्धिजीवीयो को सोचने पर मजबुर कर दिया है। अभी तक भारत में ग्लोबल वार्मिंग शब्द समाज के सभी वर्गों तक नहीं पहुँच पाया है, लेकिन विज्ञान की दुनिया की बात करें तो ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भविष्यवाणियाँ की जा रही हैं। ये 21वी शताब्दी का सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरने वाला है। यह खतरा तृतीय विश्वयुद्ध या किसी क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकराने से भी बड़ा माना जा रहा है। आज मोटिवेशनल स्पीकर एवं लाइफ कोच श्री राजेश अग्रवाल जी ग्लोबल वार्मिंग पर अपना विचार साझा कर रहे है, आइये जानते है इस विषय पर उनका क्या कहना है । कई बार यह मेरे दिमाग में आता है कि अभी तक जो ग्रह मानव से मुक्त है, और पूरी तरह से अपने प्राकृतिक स्वरूप में है, यानी की जैसी बनायीं गयी थी, वैसी ही है, क्योंकि वहां अभी तक आधुनिक मानव नही पहुंचा है, इसलिए कोई छेड़छाड़ नही हो पाया है, वो कभी ग्लोबल वार्मिंग का सामना नहीं करेगा। ये ग्लोबल वार्मिंग हमारे द्वारा धरती पर किये गये अत्याचारों का नतीजा है । कई वैज्ञानिक मेरे विचारो से असहमत हो सकते हैं, क्योंकि मेरे पास कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं, लेकिन मुझे लगता है कि अगर कभी प्रकृति की अदालत लगेगी, तो पता नहीं कि हम मनाव किस तरह की सजा के हकदार होंगे। हमें ये भी नही पता कि जब कोई मिसाइल ओजोन परत में जाता है तो किस प्रकार हमे प्रभावित करता है। आज दुनिया वैश्विक शांति की बात तो करती है लेकिन साथ में नित्य नए मिसाइल बनाते जा रहे है। हम प्रतिदिन इस रफ़्तार से नए नए मिसाइल बनाते जा रहे है की अब वह दिन दूर नही जब हम खुद ही पूरी दुनिया को बर्बाद कर देंगे। ये परिस्थिति वास्तव में बहुत ही भयावह है और अब विश्व के सभी राष्ट्रों को एकसाथ मिलकर इस धरती माता को बचाने के लिए सभी विनाशकारी हथियारों को त्याग देना चाहिए। मै उस भयानक परिवेश के कल्पना मात्र से सिहर उठता हूँ, क्योंकि वो परिस्थिती इतनी विकराल होगी, की उस समय कुछ भी सोचने का वक्त हमारे पास नही होगा, अतः हमे अभी और आज से ही इस प्रकृति को बचाने के हर जरुरी प्रयास करना चाहिए, क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग को रोकने का कोई इलाज नहीं है। इसके बारे में सिर्फ जागरूकता फैलाकर ही इससे कम किया जा सकता है। हमें अपने धरती माता को सही मायनों में ग्रीनबनाना होगा। हम अपने आस-पास के वातावरण को प्रदूषण से जितना मुक्त रखेंगे, इस पृथ्वी को बचाने में उतनी ही बड़ी भूमिका निभाएंगे। मै आज आप सबसे एक विनती करना चाहता हूँ की आपके घर में जब भी कोई मंगल कार्य हो तो उसकी निशानी एक पेड़ लगाकर संजोये, अगर आप शहर में रहते है और आपके पास पेड़ लगाने के लिए जमीन नही है तो आप ये सुनिश्चित करे की आपके लिए आपका प्रतिनिधि आपके गाँव या जहां भी आपको सुविधा हो वहां एक पेड़ लगाये, और साथ में आप उस पेड़ के समुचित विकास की भी व्यवस्था करे, क्योंकि ये बड़े बड़े काम्प्लेक्स और फ्लैट्स हमारे किसी काम नही आयेंगे जिसके सौन्दर्य में हम लाखो करोड़ो खर्च कर देते है । हमे ये समझना होगा की हमारे घर का सौन्दर्य महंगे टाइल्स और कालीन से नही बल्कि हरे भरे पेड़ और स्वच्छ प्रकृति से है ।

Sunday, 1 April 2018

सफल जीवन की कामना तो सभी करते है, पर कितने लोग सफल हो पाते है, आइये जानते है श्री राजेश अग्रवाल जी से


मोटिवेशनल स्पीकर और लाइफ कोच श्री राजेश अग्रवाल जी कहते है की जीवन में लक्ष्य दो प्रकार के होते है-: लक्ष्यों को जीवित करना, और लक्ष्य को पुनर्जीवित करना।    दैनिक जीवन के लिए भोजन प्राप्त करने में व्यस्त रहना जीवित लक्ष्य कहा जाता है, वही दैनिक जीवन से परे हटकर कुछ अलग सोचना और उसको प्राप्त करने के लिए मेहनत करना  लक्ष्य को पुनर्जीवित करना कहलाता है । विद्यार्थी जीवन में हर किसी का कुछ न कुछ लक्ष्य होता है, पर ये बहुत ही दु:खद है की 95% लोग विदार्थी जीवन के दौरान उचित मार्गदर्शन के अभाव में आगे चलकर दाल-रोटी तक में ही सिमित रह जाते है I उनको अपने सपनो के बारे में सोचने का वक्त तो होता है पर वो सोचना ही नही चाहते है। ऐसे  लोगो की हमेशा यही शिकायत रहती है, की ऑफिस के कार्यो में इतना व्यस्त हूँ की ये सब सोचने के लिए समय ही नही बचता, और फिर ये  नौकरी करते हुऐ रिटायर हो जाना ही अपने जीवन का लक्ष्य समझ लेते है । ऐसे लोगो के लिए हमारी सहानुभूति है I हम इस दुनिया के हर व्यक्ति को आर्थिक व मानसिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए प्रतिबद्ध है I इस प्रकृति ने सबको एक समान प्रतिभा तो नही दिया है, लेकिन सबको एक सामन अवसर जरुर दिया है अपने सपनो को साकार करने के लिए I
आज के प्रतिस्पर्धात्मक जमाने मे दो तरह के लोग होते है, पहले वो जिनके खुद के सपने होते है, और वो अपने सपने को पूरा करने के लिए कुछ भी कर गुजर जाते है, और दुसरे वे जिनके खुद के कोई सपने नही होते और वो दुसरे के सपनो को पूरा करते करते गुजर जाते है। एक अनुसन्धान के अनुसार सिर्फ 5% लोग अपने सपनो को पूरा करने के लिए दुनिया के 95% लोगो को इस्तेमाल करे रहे है, क्योंकि इन 95% लोगो के खुद के कोई सपने नही है, और अगर है भी तो उसको पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध नही है । 
मित्रो अगर आप अपने लक्ष्यों को पुनर्जीवित करना चाहते है तो सबसे पहले अपने सभी सपनों की एक सूची बनाये जो आप अगले 5-10 वर्षों में प्राप्त करना चाहते हैं, यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है की आपके सपने आपके क्षमतानुसार/वास्तविक ही होना चाहिए I अब आप प्रत्येक दिन अपने लिस्ट को देखकर ये निश्चित करते चले की आप अभी भी अपने सपनो के रास्तो पर है, अगर अपने सपनो को पूरा करने में कठिनाई हो रही हो तो अपने तरीके बदले, इरादे नही I इतिहास गवाह है की दुनिया में वही लोग सफल हो पाते है जो अपने सपनो को पूरा करने हेतु एक निश्चित समाय सीमा निर्धारित करते है, अगर आपने सपनो का लिस्ट तो बना लिया, और अपने तरीके नही बदले, तो आपको सफल होने में बहुत वक्त लग सकता है, और ऐसा भी हो सकता है की आप कभी सफल ही ना हो पाए, इसलिए ये बेहद जरुरी है की हमे अपने कमजोरियों और मजबूतियो के बारे में जानकारी हो I हर इन्सान की कोई ना कोई कमजोरी/मजबूती होती है, अक्सर हम अपने कमजोरियों से अनजान होते है और एक ही गलतियों को बार बार दुहराते है,अगर आप एक बार अपनी कमजोरियों को पहचान ले तो आपकी सफलता की यात्रा और आसन हो जायेगी I इस आधुनिक युग में अब ऐसे तकनीक भी मौजूद है जो आपकी मानसिक क्षमता और प्रतिभा के साथ साथ आपकी कमजोर/मजबूत क्षेत्र को उजागर करता है, तो अब देर किस बात की, अभी कॉल करे 9471818604, और अपने कमजोर/मजबूत क्षेत्र के साथ साथ अपनी छुपी हुई प्रतिभा को उजागर करे I अमेरिका, जापान, चीन, कोरिया समेत विश्व के कई देश इस आधुनिक विज्ञान की मदद से अपने छात्रो के क्षमता का सही जगह पूरा पूरा उपयोग कर रहे है I
ये लेख पढने के बाद मुझे आशा ही नही अपितु पूर्ण विश्वास है की आप भी अब अपने सपनों की एक सूचि बनायेंगे और अपने छुपी हुई प्रतिभा और कमजोरियों को उजागर करने हेतु आगे आयेंगेI
आपको मेरी तरफ से और राजेश सर के तरफ से अग्रिम शुभकामनाये, अगर आपको ये लेख अच्छा लगा तो अपने उन मित्रो से भी शेयर करे जिन्हें आप वास्तव में सफल होते देखना चाहते है I

Saturday, 31 March 2018

आपकी लापरवाही और जिद आपके बच्चे के भविष्य को बर्बाद कर सकती है, अगर आप एक सचेत माता पिता है तो जरुर पढ़े...

मनुष्य स्वयं में एक बेशकीमती संपदा है, एक ऐसा अमूल्य संसाधन है जिसको दुनिया के किसी भी बेशकीमती चीज से बराबरी नही कर सकते, बस जरूरत इस बात की है कि उस(मानव) अमूल्य संपदा की परवरिश सही दिशा में हो, गतिशील एवं संवेदनशील हो और साथ ही परवरिस के दौरान ख़ास सावधानी बरती जाये। व्यक्ति जन्म लेता है तो वह एक खाली डब्बा मात्र है, हम उसमे जो भरेंगे,उसी अनुसार वो व्यक्ति बेशकीमती/कबाड़ा होगा, अब हमे ये फैसला करना है की हम अपने बच्चे को बेशकीमती बनाना चाहते है या कबाड़ा?
हर इंसान का अपना एक विशिष्ट व्यक्तित्व होता है, जन्म से मृत्युपर्यन्त, जिन्दगी के हर मुकाम पर उसकी अपनी समस्याएं और जरूरतें होती हैं। विकास की इस पेचीदा और गतिशील प्रक्रिया में शिक्षा अपना उत्प्रेरक योगदान दे सकें, इसके लिए बहुत सावधानी से योजना बनाने और उस पर पूरी लगन के साथ अमल करने की आवश्यकता है। बच्चो को पढाई प्रारम्भ करने से पूर्व ये पता होना चाहिए की वो क्या पढ़ रहा है, और क्यों पढ़ रहा है? इस पढ़ाई का उपयोग वो जीवन के किस हिस्से में कर पायेगा I अगर आप अपने बच्चो को अच्छी नौकरी पाने के लिए मन लगाकर पढने को बोलते है, तो आप बच्चे के साथ अन्याय कर रहे है I जिस बच्चे को ये पता ही नही है की उसे किस क्षेत्र में नौकरी करनी है, तो फिर वो किस विषय में मन लगाकर पढ़े ??
अब हमारे पाठ्यक्रम में दशवी तक सभी विषये पढाई जाती है, तो ऐसे में बच्चे किस विषय पर अत्यधिक ध्यान दे ?? अगर आप कहेंगे की हर विषय पर बराबर ध्यान दे तो आपकी ये गलती आपके बच्चे के उज्ज्वल भविष्य को बर्बाद कर देगा I अपने बच्चे के कमजोर क्षेत्र को लेकर चिंतित होने से बेहतर है अपने बच्चे के मजबूत क्षेत्र की पहचान कर खुश रहे I इसलिए अगर आप एक सचेत माता-पिता है तो आज ही अपने बच्चे के उस विशिष्ट क्षेत्र की पहचान करे, जिसमे में उसे अत्यधिक ध्यान देना है I अपने बच्चे की छुपी हुई प्रतिभा को वैज्ञानिक पद्धति से उजागर करने के लिए अभी संपर्क करे 9471818604, 9711139259

Tuesday, 6 March 2018

अगर आपको आगे बढ़ना है तो हर दिन कुछ ना कुछ नया सीखना होगा...

आज के प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में आगे बढ़ने के लिए जरुरी है प्रतिदिन कुछ ना कुछ सीखते रहना, अगर आपको जीतना है तो आपको सीखते रहना होगा, क्योंकि सीखना बंद तो जीतना बंद, अब फैसला आपको करना है I
हर इन्सान जीवन में कोई भी नई चीज दो तरीके से सीखता है, पहला किसी काम को प्रैक्टिकल करके, और दूसरा उस काम के एक्सपर्ट से समझ के, अब अधिकतर लोग पहले वाले तरीके से सिखने की कोशिश करते है, यानी की वो बिना किसी एक्सपर्ट के खुद से सीखना चाहते है, और इसमें वर्षो बीत जाते है उनको सीखते हुवे,फिर भी वो पूरी तरह नही एक्सपर्ट नही बन पाते, और अंत में सीखना ही बंद कर देते है, वही बुद्धिमान लोग एक्सपर्ट की राय लेकर उसी चीज को जल्दी से समझकर उसका फायदा अपने करियर में उठाते है I अब फिर फैसला आपको करना है, खुद से सीखना है या एक्सपर्ट से समझना है ?
अब तक कहा जाता था की "जहाँ न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवी" हमने इसमें एक लाइन और जोड़ दिया है, "जहाँ न पहुंचे कवि, वहां पहुंचे अनुभवी"

इसलिए आइये और हमारे अनुभवी एक्सपर्ट से नि:शुल्क परामर्श के लिए अभी कॉल करे 9871949259,9471818604,9971543314चित्र में ये शामिल हो सकता है: एक या अधिक लोगकोई भी स्वचालित वैकल्पिक पाठ उपलब्ध नहीं है.

Tuesday, 23 January 2018

मित्रो आज नेताजी की 121वीं जयंती है, तो आइये जानते है उनका संक्षिप्त जीवन परिचय

मित्रो आज नेताजी की  121वीं जयंती है, तो आइये जानते है उनका   संक्षिप्त जीवन परिचय , नेताजी  सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा में कटक के एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। बोस के पिता का नाम 'जानकीनाथ बोस' और माँ का नाम 'प्रभावती' था। उनके पिताजी  जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वक़ील थे। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल मिलाकर 14 संतानें थी, जिसमें 6 बेटियाँ और 8 बेटे थे। सुभाष चंद्र उनकी नौवीं संतान और पाँचवें बेटे थे। अपने सभी भाइयों में से सुभाष को सबसे अधिक लगाव शरदचंद्र से था। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस  ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई। तत्पश्चात् उनकी शिक्षा कलकत्ता के प्रेज़िडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से हुई, और बाद में भारतीय प्रशासनिक सेवा (इण्डियन सिविल सर्विस) की तैयारी के लिए उनके माता-पिता ने बोस को इंग्लैंड के केंब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया। अँग्रेज़ी शासन काल में भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत कठिन था किंतु उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया। 1921 में भारत में बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों का समाचार पाकर बोस ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और शीघ्र भारत लौट आए। सिविल सर्विस छोड़ने के बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए। सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी के अहिंसा के विचारों से सहमत नहीं थे। वास्तव में महात्मा गांधी उदार दल का नेतृत्व करते थे, वहीं सुभाष चंद्र बोस जोशीले क्रांतिकारी दल के प्रिय थे। महात्मा गाँधी और सुभाष चंद्र बोस के विचार भिन्न-भिन्न थे लेकिन वे यह अच्छी तरह जानते थे कि महात्मा गाँधी और उनका मक़सद एक है, यानी देश की आज़ादी। सबसे पहले गाँधीजी को राष्ट्रपिता कह कर नेताजी ने ही संबोधित किया था। 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय योजना आयोग का गठन किया। यह नीति गाँधीवादी आर्थिक विचारों के अनुकूल नहीं थी। 1939 में बोस पुन एक गाँधीवादी प्रतिद्वंदी को हराकर विजयी हुए। गांधी ने इसे अपनी हार के रुप में लिया। उनके अध्यक्ष चुने जाने पर गांधी जी ने कहा कि बोस की जीत मेरी हार है और ऐसा लगने लगा कि वह कांग्रेस वर्किंग कमिटी से त्यागपत्र दे देंगे। गाँधी जी के विरोध के चलते इस 'विद्रोही अध्यक्ष' ने त्यागपत्र देने की आवश्यकता महसूस की। गांधी के लगातार विरोध को देखते हुए उन्होंने स्वयं कांग्रेस छोड़ दी। इस बीच दूसरा विश्व युद्ध छिड़ गया। बोस का मानना था कि अंग्रेजों के दुश्मनों से मिलकर आज़ादी हासिल की जा सकती है। उनके विचारों के देखते हुए उन्हें ब्रिटिश सरकार ने कोलकाता में नज़रबंद कर लिया लेकिन वह अपने भतीजे शिशिर कुमार बोस की सहायता से वहां से भाग निकले। वह अफगानिस्तान और सोवियत संघ होते हुए जर्मनी जा पहुंचे। सक्रिय राजनीति में आने से पहले नेताजी ने पूरी दुनिया का भ्रमण किया। वह 1933 से 36 तक यूरोप में रहे। यूरोप में यह दौर था हिटलर के नाजीवाद और मुसोलिनी के फासीवाद का। नाजीवाद और फासीवाद का निशाना इंग्लैंड था, जिसने पहले विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी पर एकतरफा समझौते थोपे थे। वे उसका बदला इंग्लैंड से लेना चाहते थे। भारत पर भी अँग्रेज़ों का कब्जा था और इंग्लैंड के खिलाफ लड़ाई में नेताजी को हिटलर और मुसोलिनी में भविष्य का मित्र दिखाई पड़ रहा था। दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। उनका मानना था कि स्वतंत्रता हासिल करने के लिए राजनीतिक गतिविधियों के साथ-साथ कूटनीतिक और सैन्य सहयोग की भी जरूरत पड़ती है। सुभाष चंद्र बोस ने 1937 में अपनी सेक्रेटरी और ऑस्ट्रियन युवती एमिली से शादी की। उन दोनों की एक अनीता नाम की एक बेटी भी हुई  जो वर्तमान में जर्मनी में सपरिवार रहती हैं। नेताजी हिटलर से मिले। उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत और देश की आजादी के लिए कई काम किए। उन्होंने 1943 में जर्मनी छोड़ दिया। वहां से वह जापान पहुंचे। जापान से वह सिंगापुर पहुंचे। जहां उन्होंने कैप्टन मोहन सिंह द्वारा स्थापित आज़ाद हिंद फ़ौज की कमान अपने हाथों में ले ली। उस वक्त रास बिहारी बोस आज़ाद हिंद फ़ौज के नेता थे। उन्होंने आज़ाद हिंद फ़ौज का पुनर्गठन किया। महिलाओं के लिए रानी झांसी रेजिमेंट का भी गठन किया जिसकी लक्ष्मी सहगल कैप्टन बनी। नेताजी' के नाम से प्रसिद्ध सुभाष चन्द्र ने सशक्त क्रान्ति द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 21 अक्टूबर, 1943 को 'आज़ाद हिन्द सरकार' की स्थापना की तथा 'आज़ाद हिन्द फ़ौज' का गठन किया इस संगठन के प्रतीक चिह्न पर एक झंडे पर दहाड़ते हुए बाघ का चित्र बना होता था। नेताजी अपनी आजाद हिंद फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा पहुँचे। यहीं पर उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा, "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" दिया। 18 अगस्त 1945 को टोक्यो (जापान) जाते समय ताइवान के पास नेताजी का एक हवाई दुर्घटना में निधन हुआ बताया जाता है, लेकिन उनका शव नहीं मिल पाया। नेताजी की मौत के कारणों पर आज भी विवाद बना हुआ है। हम उनको आज श्रधा सुमन आर्पित करते है .

Thursday, 11 January 2018

क्या आप इस आधुनिक GPS के बारे में जानते है ??

हम आपकी क्षमता के अनुसार आपको रास्ता बताएँगे 
आज के प्रतिस्पर्धा के इस दौर में प्रत्येक माँ बाप का यह 
स्वपन होता हैं कि उनका बच्चा बुद्धिमान हो,
उच्च अभ्यास करने वाला हो और समाज में उच्च स्तर 
प्राप्त करने वाला बने। यह बच्चा क्या 
अभ्यास करेगा, उसका भविष्य कैसा होगा आदि जानकारी
 के प्रति ज्यादा उत्सुकता रहती है, 
और अगर यह जानकारी बच्चे कि बाल्यावस्था में या 
अभ्यास के महत्वपूर्ण पड़ाव के पहले मिल 
जाये तो माँ बाप इस बहुमूल्य जानकारी का सही उपयोग 
करके अपने बच्चे को सही मार्गदर्शन, 
प्रोत्साहन एवं योग्य क्षेत्र में शिक्षा दिलाने का अच्छा प्रबंध करके उनके श्रेष्ठ भविष्य निर्माण में 
सहयोग कर सकते हैं
मित्रो आजतक पुरे विश्व में सबसे ज्यादा प्रतिभाशाली व्यक्तित्व बिहार से ही हुवे है और निरंतर हमारे बिहार के बच्चे हर क्षेत्र में बिहार का नाम रौशन कर रहे है, परन्तु यह संतोषजनक नही है क्योंकि हजारो युवा अपने जीवन में उचित लक्ष्य प्राप्त करने में असफल रहते है , और उसका कारण है सही समय पर बच्चो को उचित मार्गदर्शन नही मिल पाना, बच्चे अपनी क्षमता के अनुसार करियर नही बना पाते जिसका नतीजा उन्हें जीवन भर किसी ऐसे कार्य को करते हुवे बिताना पड़ता है जिसमे उनका कोई रूचि ही नही है I आज विज्ञान के ज़माने में जापान की DMIT टेस्ट पद्धति  बच्चो के लिए GPS(ग्लोवल पोजिशनिंग सिस्टम) का काम करती है, इसके मदद से बच्चे अपने क्षमतानुसार अपने करियर का चुनाव कर आसानी से अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते है I आपसे अनुरोध है की इस साल के बजट में बिहार के हर माध्यमिक विद्यालय के लिए कम से कम एक काउंसलर की नियुक्ति की जाए जो की इस वैज्ञानिक पद्धति के मदद से बच्चो को उनके जीवन का  सर्वश्रेष्ठ उपहार प्रदान करे I
पिछले कई सालों से इस प्रकार का मार्गदर्शन ज्योतिषशास्त्र की विभिन्न विधियों से किया जाता है
 लेकिन इस विधि में एक सामान रूपता नहीं पायी जाती है I इसलिए इस विधि में पूर्णतया विश्वास 
करना थोडा कठिन होता है। परन्तु अब इस महान वैज्ञानिक विधि से फिंगर प्रिंट के माध्यम से बहुत 
ही आसानी से, पूर्णतया सटीक मार्गदर्शन मिल सकता है। 
इसे ही Dermatoglyphics Multiple Intelligences Test (D.M.I.T) कहा जाता है।
इस वैज्ञानिक परिक्षण से किसी भी व्यक्ति की विभिन्न प्रकार की बुद्धि की जानकारी प्राप्त करके, उसमें क्या अच्छाईयाँ व् कमियां हैं, उसका स्वभाव, व्यवहार, पठन की रूचि, याद करने की क्षमता आदि कई पह्लुयों को जाना जा सकता है। इस जानकारी का उपयोग करके अपने बच्चे के लक्ष्य प्राप्ति में उपयुक्त कार्यवाही कर सकते हैं।


Saturday, 18 November 2017

कैरियर के चुनाव मे उधेड़बुन की स्थिति नहीं होनी चाहिए। फैसला बिल्कुल अपने लक्ष्य को केन्द्र में लेकर होना चाहिए..

आज हर मां-बाप शिक्षा को स्तरहीन बना रहे है, कुछ ही है जो बच्चों को रूचिनुसार शिक्षा दिला पाने में सफल हो पाते है I  अधिकतर माँ-बाप अपनी बुद्धि को ही आधार मान-कर बच्चों को अपने विवेक के अनुसार विषय दिलाकर उस पर पूर्ण ध्यान केन्द्रित करने का दबाब बनाते है I आज समाज में प्रतिष्ठित बनने की होड़ मची होने के कारण कोई भी अपने बच्चो को दबाव-मुक्त शिक्षा नही दे पा रहे है, और उसका परिणाम ???? बस छात्र भटकाव की ओर अग्रसर हो जाता है I दबाव में रहने वाला हर विद्यार्थी जैसे-तैसे डिग्री पास कर अपने योग्यतानुसार सही क्षेत्र में कार्य ना मिलने के कारण, वह तय नहीं कर पाता की उसका महत्त्व डिग्री के उपरांत परिवार एवं समाज में कैसे मिले?? दूसरी तरफ उम्र बढ़ते रहने के कारण उसे जो भी क्षेत्र मिलता है उसमें अपनी आजीविका शुरू कर अपने सही रूप को भूलकर बनावटी सामाजिक परिवेश को अपनाता है | आज ९०% छात्रों ने अपना जीवन इसी तरह किसी न किसी अनचाहे क्षेत्र में सिर्फ जीविका के आधार पर चुना है I ९० से १००% अंक लाने वाले छात्र भी अपने अनुसार जीवन नही बना पाते है, तथा उनका आई.क्यू बढ़िया होने के बाबजूद भी वो अपने शिक्षा को वास्तविक स्वरुप नही दे पाते है I अतः अब हमे छात्रों के मानसिक क्षमता पर आधारित शिक्षा को ही महत्त्व देना चाहिए I
जानवरों की तरह बच्चों के पीछे पड़ने से शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है| इसलिए शिक्षा का स्वरुप बच्चो के दिमागी क्षमाताओ के अनुसार होना चाहिए ताकि वे स्वतंत्र रूप से अपनी गतिविधियों को अपने सही दिशा की ओर अधिक से अधिक बेहतर बनाने की कोशिश कर सकें| शिक्षा प्राप्त करने पर सुविधा प्राप्त होती है तथा में प्रसन्नचित्त होने के कारण जो भी शिक्षा ग्रहण करता है, वह उसके भावी जीवन को प्रसन्नचित्त रखकर जीने का अधिकार देती है| इस तरह विद्यार्थी में किसी प्रकार का तनाव नहीं रहता तथा छात्र एवं पालको के मध्य सामंजस्य होने के कारण शिक्षा का भावी रूप दिखाई देने लगता है I
मित्रो शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जो हमारे जीवन को एक नयी विचारधारा, नया सवेरा देता है, ये हमे एक परिपक्व समाज और स्वर्णिम राष्ट्र बनाने में मदद करता है । यदि शिक्षा के उद्देश्य सही दिशा मे हों तो ये इन्सान को नये नये प्रयोग करने के लिये उत्साहित करते हैं । शिक्षा और संस्कार साथ साथ चलते हैं, या कहा जाये तो एक दूसरे के पूरक हैं । शिक्षा हमें संस्कारों को समझने और बदलती सामाजिक परिस्थियों के अनुरूप उनका अनुसरण करने की समझ देता है । आज शिक्षा जिस मुकाम पर पहुँच चुकी है वहाँ उसमें परिवर्तन की गुंन्जा‌इश है, आज हमें मिल बैठकर सोचना चाहिये, कि यदि शिक्षा हमारे उद्देश्यों को पूरा नही करती तो ऐसी शिक्षा का को‌ई मतलब नहीं है ।
कैरियर के चुनाव मे उधेड़बुन की स्थिति नहीं होनी चाहिए। फैसला बिल्कुल अपने लक्ष्य को केन्द्र में लेकर होना चाहिए। यदि आई.ए.एस. बनना है तो अपको किस रूचि के विषय को अपना कर आसानी से कामयाबी हासिल की जा सकती है, इसका चयन भी सर्वप्रथम अत्यावश्यक है। अब और कंफ्यूज रहने की जरुरत नही है आज ही संपर्क करे 9871949259 से, हम आपको आपके जन्मजात प्रतिभा के आधार पर हम आपको करियर विकल्प देंगे जिसमें आप शीर्ष तक पहुँच सके ।
करियर सम्बंधित सलाह सुझाव के लिए इमेल करे anandmohan.dmt@gmail.com
अतः आइये हम सब साथ मिलकर संकल्प ले की आज के बाद हम अपने सम्पर्क के हर बच्चे को उसके मानसिक क्षमता के आधार पर ही अपने शिक्षा क्षेत्र के चुनाव करने  का बहुमूल्य सुझाव देंगे I